खुल गया राज़........आखिर मरने के बाद कहां जाती है हमारी आतमा ?
खुल गया रहस्यः मरने के बाद कहां रहती है आत्मा... जानिए !
हर इंसान को ये जानने की उत्सुकता रहती है. कि मृत्यु के बाद क्या होता है? आत्मा कहां जाती है, क्या करती है? इन बातों का विस्तृत समावेश गरूड़ पुराण में किया गया है। इस पुराण के अधिष्ठाता देव भगवान विष्णु हैं। गरूड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के बाद आत्मा को यमदूत केवल 24 घंटों के लिए ही ले जाते हैं और इन 24 घंटों के दौरान आत्मा को दिखाया जाता है कि उसने कितने पाप और पुण्य किए हैं।
आपको बता दे कि इसके बाद आत्मा को फिर उसी घर में छोड़ दिया जाता है जहां उसने शरीर का त्याग किया था। 13 दिन तक आत्मा वहीं पर रहती है। इसके बाद आत्मा को 13 दिन बाद फिर ले जाया जाता है। पुराणों के अनुसार जब भी किसी मनुष्य की मृत्यु होती है और आत्मा शरीर को त्याग कर यात्रा प्रारंभ करती है तो इस दौरान उसे तीन तरह के मार्ग मिलते हैं जो कि क्रमश: अर्चि मार्ग, धूम मार्ग और उत्पत्ति-विनाश मार्ग। ये मार्ग 13 दिन बाद मिलते हैं।उक्त मार्गों का फैसला व्यक्ति के कर्मों के अनुसार होता है।
अर्चि मार्ग ब्रह्मलोक और देवलोक की यात्रा के लिए होता है, तो धूम मार्ग पितृलोक की यात्रा पर ले जाता है और उत्पत्ति-विनाश मार्ग नर्क की यात्रा कराता है। इस तरह आत्मा अपने कर्मों के अनुसार अलग-अलग मार्ग से गुजरती है। आत्मा यहां कर्मों और यमराज द्वारा तय किए गए समय तक रहती है। अर्चि मार्ग ही सबसे उत्तम मार्ग है क्योंकि ये ही ब्रह्मलोक की और जाता है। यदि किसी भी व्यक्ति ने जीवन भर कोई भी पाप या बुरे कर्म नहीं किए हों तो मोक्ष उसी को प्राप्त होता है।
हर इंसान को ये जानने की उत्सुकता रहती है. कि मृत्यु के बाद क्या होता है? आत्मा कहां जाती है, क्या करती है? इन बातों का विस्तृत समावेश गरूड़ पुराण में किया गया है। इस पुराण के अधिष्ठाता देव भगवान विष्णु हैं। गरूड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के बाद आत्मा को यमदूत केवल 24 घंटों के लिए ही ले जाते हैं और इन 24 घंटों के दौरान आत्मा को दिखाया जाता है कि उसने कितने पाप और पुण्य किए हैं।
आपको बता दे कि इसके बाद आत्मा को फिर उसी घर में छोड़ दिया जाता है जहां उसने शरीर का त्याग किया था। 13 दिन तक आत्मा वहीं पर रहती है। इसके बाद आत्मा को 13 दिन बाद फिर ले जाया जाता है। पुराणों के अनुसार जब भी किसी मनुष्य की मृत्यु होती है और आत्मा शरीर को त्याग कर यात्रा प्रारंभ करती है तो इस दौरान उसे तीन तरह के मार्ग मिलते हैं जो कि क्रमश: अर्चि मार्ग, धूम मार्ग और उत्पत्ति-विनाश मार्ग। ये मार्ग 13 दिन बाद मिलते हैं।उक्त मार्गों का फैसला व्यक्ति के कर्मों के अनुसार होता है।
अर्चि मार्ग ब्रह्मलोक और देवलोक की यात्रा के लिए होता है, तो धूम मार्ग पितृलोक की यात्रा पर ले जाता है और उत्पत्ति-विनाश मार्ग नर्क की यात्रा कराता है। इस तरह आत्मा अपने कर्मों के अनुसार अलग-अलग मार्ग से गुजरती है। आत्मा यहां कर्मों और यमराज द्वारा तय किए गए समय तक रहती है। अर्चि मार्ग ही सबसे उत्तम मार्ग है क्योंकि ये ही ब्रह्मलोक की और जाता है। यदि किसी भी व्यक्ति ने जीवन भर कोई भी पाप या बुरे कर्म नहीं किए हों तो मोक्ष उसी को प्राप्त होता है।